आपके खातीर चांद भी आज, रात को न जल्दि निकलेगा..
रात को न जल्दि निकलेगा..
शाम से शुरु करके सिलसीला,
जब आधी रात तक पहुचेगा..
ताज्जुब होगा तुम्हे
देखकर,
कुछ फिर समज न आयेगा
आपके खातीर चांद भी आज,
रात को न जल्दि निकलेगा..
इत्र का काम करके खुशबु,
चांद खुद ही उसको
छिडकेगा..
फुलोंसे सजाकर आंगन सारा,
फिर रात का संन्नाटा
छायेगा..
आपके खातीर चांद भी आज,
रात को न जल्दि निकलेगा..
इत्र कि मेहेक हवामे
घुलते,
ताता मेहमानोका
लगजायेगा..
आयेगा हर कोई नुर को
देखने,
तौफाभी हात मे छुपाकर
लायेगा..
आपके खातीर चांद भी आज,
रात को न जल्दि निकलेगा..
मेहेकती हवाको संदेशा
पहुचाने,
जब हर कोई कहलायेगा..
बाहरसेही पुकारेगी तुम्हे,
जब आधी रात का समय
आयेगा..
आपके खातीर चांद भी आज,
रात को न जल्दि निकलेगा..
देर न करना..बाहर निकलना,
फिर चांद भी बादलोंसे
निकलेका..
तुम नुरको जनमदिन कि बधाई
देने,
सब पर रोमांच ऐसा छायेगा..
आपके खातीर चांद भी आज,
रात को न जल्दि निकलेगा..
निकलकर रातको हातमे चांद,
केक लेकर जब आयेगा..
काटके उसको बाटते जाना,
लेकिन चांद पहले तुम्हे
खिलायेगा..
भुल न जाना मुझ काफिर को,
तौफा इसके बाद न कोई
लायेगा..
आपके खातीर चांद भी आज,
रात को न जल्दि निकलेगा..
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